चंडीगढ़। जेबीटी-टीजीटी- 2015 पेपर लीक का मामला अभी नहीं सुलझ पाने के कारण शहर के 35 एनटीटी शिक्षकों का 5 साल के बाद भी प्रोबेशन पीरियड खत्म नहीं हुआ है। शिक्षक इस बारे में कई बार शिक्षा विभाग से अपील कर चुके हैं। एनटीटी शिक्षकों का कहना है कि जब पेपर लीक मामले में सिर्फ जेबीटी-टीजीटी शामिल हैं तो उनका भविष्य क्यों खराब किया जा रहा है। उधर, शिक्षा विभाग ने एनटीटी शिक्षकों से कहा है कि जेबीटी-टीजीटी पेपर लीक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट के फैसले के बाद ही जेबीटी-टीजीटी के साथ ही एनटीटी का भी प्रोबेशन पीरियड खत्म कर दिया जाएगा।

पिछले साल दिसंबर माह में पंजाब एंड चंडीगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के बाद जेबीटी-टीजीटी भर्ती पेपर लीक मामले में शिक्षा विभाग ने 42 शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। वहीं, अन्य कार्यरत 830 जेबीटी-टीजीटी शिक्षकों को हाईकोर्ट ने राहत दी थी। लेकिन शिक्षा विभाग भर्ती में धांधली होने के कारण यह भर्ती रदद् करने के पक्ष में था। शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही विभाग जेबीटी-टीजीटी शिक्षकों पर फैसला लेगा।

शिक्षा विभाग ने 3 नवंबर 2014 को 489 जेबीटी और 10 नवंबर 2014 को टीजीटी के लिए भर्ती का विज्ञापन निकाला था। इन्हीं के साथ 103 सीटों पर एनटीटी के लिए भर्ती का विज्ञापन निकला था। इसके बाद 2015 के शुरुआती माह में जेबीटी, टीजीटी और एनटीटी का पेपर हुआ। 1 मार्च 2015 को पेपर का रिजल्ट घोषित किया गया। अगस्त 2015 में अधिकारियों की ओर से उम्मीदवारों का चयन किया गया। इसके बाद पेपर लीक मामले में मई 2018 को शिक्षा विभाग ने सभी भर्ती किए गए जेबीटी-टीजीटी उम्मीदवारों को निकालने का आदेश दिया था, क्योंकि क्राइम मामले में सामने आया कि जेबीटी-टीजीटी का पेपर लीक हुआ था। इसके बाद मामला कैट (चंडीगढ़ एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) में पहुंचा। कैट ने सभी शिक्षकों की नौकरी के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा। मुख्य आरोपी की 2016 में हो गई थी हार्टअटैक से मौत
एसआईटी चंडीगढ़ की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2015 में दिल्ली की प्रिंटिंग प्रेस से पेपर लीक हुआ था। पेपर प्रिंटिंग प्रेस के ही कर्मचारी रनबीर सिंह रावत ने पेपर लीक किया था। रावत ने पेपर के दो सेट लीक किए थे। एक उम्मीदवार को पेपर करीब 10 लाख में बेचा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक पेपर लीक में पूरा गिरोह बना हुआ था। इसमें प्रिंटिंग प्रेस का कर्मचारी, एजेंट, उम्मीदवारों की पूरी चेन बनाकर मामले को अंजाम दिया गया। इसमें मुख्य आरोपी रनबीर सिंह रावत की 2016 में हार्टअटैक से जबकि आरोपी एजेंट कमलेश कुमार उर्फ वकील साहिब की तेलंगाना पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी। इस कारण पेपर लीक में लाभार्थी उम्मीदवारों की जांच अधूरी रह गई और इसमें शामिल अन्य लोगों को बारे में भी जानकारी नहीं मिल पाई। अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि पेपर लीक का फायदा कितने उम्मीदवारों ने उठाया है। मामले में 49 शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिनमें से एक की मौत हो गई और 6 ने ज्वाइन ही नहीं किया था।

सिर्फ दो वर्ष का प्रोबेशन पीरियड, कई सुविधाओं से हुए वंचित
नियुक्ति पत्र के अनुसार जेबीटी-टीजीटी-एनटीटी उम्मीदवार दो साल के प्रोबेशन पीरियड पर थे। अब शिक्षा विभाग के आदेशों के बाद ही इन शिक्षकों का प्रोबेशन पीरियड खत्म होगा। प्रोबेशन पीरियड खत्म नहीं होने के कारण 830 जेबीटी-टीजीटी और 35 एनटीटी को तनख्वाह के अलावा मिलने वाले भत्ते और सेवाएं नहीं मिल रही हैं। वहीं महिलाओं को चाइल्ड केअर लीव भी नहीं दी जा रही है।
कोट…

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही लेंगे कोई निर्णय
शिक्षा विभाग की ओर से पेपर भर्ती लीक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की गई है। कोर्ट की ओर से अभी फैसला पेंडिंग है। कोर्ट के फैसले के बाद ही हम शिक्षकों के प्रोबेशन पीरियड पर कोई निर्णय लेंगे।

– रुबिंदर जीत सिंह बराड़, शिक्षा निदेशक

By Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *