चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद नौकरी से हाथ धोने वाले प्रदेश के 1983 पीटीआई शिक्षकों द्वारा प्रदेश भर में किए जा रहे विरोध प्रदर्शन से सतर्क हुई सरकार ने उनकी समस्या का समाधान करने का मन बना लिया है। इन पीटीआई की गैस्ट टीचरों की तर्ज पर ही सेवाएं ली जा सकती हैं। इसके लिए कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला की अध्यक्षता में एक हाईपावर कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में सीएम के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, सीएम के राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी व करनाल सांसद संजय भाटिया भी शामिल हैं।
क्या है यह पूरा विवाद: हरियाणा की पूर्व हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान मई 2006 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने कुल 24 श्रेण्यिों की भर्ती निकाली थी। 23वीं कैटेगरी पीटीआई की थी, जिसके 1983 पदों को भरा जाना था। आयोग ने तय किया कि 200 अंकों का पेपर और 25 नंबर का इंटरव्यू होगा। 2007 में लिखित परीक्षा हुई लेकिन पेपर लीक हो गया। 2008 में पेपर तय हुआ लेकिन लिया नहीं गया। फिर इसी वर्ष नियमों में बदलाव करके पदों के पांच गुणा उम्मीदवारों को छंटनी करके शॉर्ट-लिस्ट किया गया। साथ ही, शैक्षणिक योग्यता, शारीरिक शिक्षा में डिप्लोमा/डिग्री तथा इंटरव्यू के 30-30 नंबर तय किए गए। 2010 में आयोग ने नतीजे घोषित किए।
भर्ती में नौकरी से वंचित रहे 68 उम्मीदवारों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में केस फाइल किया। इन उम्मीदवारों ने दलील दी कि आयोग ने नियमों में बदलाव करके चहेतों को एडजस्ट किया। 2012 में सिंगल बेंच में सरकार केस हार गई तो सरकार ने डबल बेंच में चुनौती दी। वर्ष2013 में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भी फैसला पीटीआई भर्ती के खिलाफ आया। इसके बाद प्रभावित पीटीआई मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट में भी फैसला पीटीआई के खिलाफ आया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए सरकार ने कार्यरत 1781 पीटीआई को नौकरी से हटा दिया है। इनमें ४०० के करीब वे शिक्षक भी शामिल हैं डीपीई पद पर प्रमोट हो चुके। इतना ही नहीं 38 पीटीआई की अभी तक मौत हो चुकी है। मृतक पीटीआई की विधवाओं को एक्सग्रेशिया के तहत वेतन मिल रहा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने इन परिवारों को दी जाने वाली आर्थिक मदद भी बंद कर दी है। पहली जुलाई को सरकार 2010 की भर्ती वाले सभी पीटीआई को नौकरी से रिलीव कर चुकी है। तभी से यह निकाले हुए पीटीआई आंदोलन कर रहे हैं।
एक तरफ जहां कई दिनों से आंदोलन चल रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को एक कमेटी का गठन कर दिया है। रणजीत सिंह चौटाला के नेतृत्व वाली यह कमेटी पीटीआई को दोबारा नौकरी पर रखने का रास्ता सुझाएगी। यह कमेटी पीटीआई प्रतिनिधियों के साथ बैठकों का आयोजन करेगी।
उधर बेरोजगार पीटीआई ने भी बनाई कमेटी
सरकार ने पीटीआई को कहा है कि वे खुद ही कोई रास्ता निकाल कर बताएं। पीटीआई ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस वकील से भी ड्रॉफ्ट तैयार करवाया, जिसने गेस्ट शिक्षकों की स्थाई नौकरी का फार्मूला सुझाया था। यह ड्रॉफ्ट लेकर 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कमेटी से मुलाकात भी की लेकिन कमेटी ड्रॉफ्ट से सहमत नहीं थी। ऐसे में अब पीटीआई ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट मुकुल रोहतगी से ड्रॉफ्ट तैयार करवाया है।
बेरोजगार हुए पीटीआई ने सरकार से बातचीत के लिए 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है। इनमें सोनीपत से जगबीर मलिक व नवीन मलिक, भिवानी से राजेश ढांडा, अंबाला से गुरदेव सिंह, करनाल से रविंद्र चौहान, गुरुग्राम से श्रीभगवान, हिसार से सत्यनारायण, फरीदाबाद से बृजेश, पानीपत से सुनील दत्त, कुरुक्षेत्र से कमला व रोहतक से कविता शामिल हैं। कमेटी पदाधिकारियों के साथ दो बार बातचीत हो चुकी है। तीसरी मुलाकात अगले सप्ताह संभव है।