हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी कॉलेजों में प्रिंसिपलों के पदों पर किए जा रहे प्रमोशन के खिलाफ दायर एक याचिका के बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अब प्रमोशन पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार को 22 सितंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है। साथ ही यह भी कह दिया है कि जब तक वरिष्ठता सूची तय नहीं की जाती तब तक इस पद पर कोई प्रमोशन न किया जाए। जो प्रमोशन किए गए हैं, वे इस याचिका पर हाईकोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर रहेंगे।

जस्टिस एजी मसीह ने यह आदेश इन प्रमोशन के खिलाफ एसोसिएट प्रोफेसरों द्वारा एडवोकेट समीर सचदेवा के जरिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं। एडवोकेट समीर सचदेवा ने बताया कि सभी याचिकाकर्ताओं की पहले एडहॉक पर बतौर लेक्चरर के पद पर नियुक्ति हुई थी, बाद में वे रेगुलर हो गए। लेकिन जब उनकी सीनियॉरिटी की बात उठी तो सरकार ने उनकी एडहॉक के तौर पर की गई सेवा को सेवाकाल में शामिल नहीं किया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि वह याचिकाकर्ताओं की एडहॉक की सेवा को भी सेवाकाल में शामिल करें। इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट गई तो वहां भी सरकार की अपील खारिज हो गई।

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के बावजूद सरकार ने जब आदेशों को लागू नहीं किया तो याचिकाकर्ताओं ने इसके खिलाफ दोबारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। हाईकोर्ट ने 24 जनवरी को याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को तीन महीने में इनकी एडहॉक की सेवा को सेवाकाल में शामिल कर सीनियॉरिटी लिस्ट बनाने के आदेश दे दिए थे। अब फिर सरकार ने बिना सीनियॉरिटी लिस्ट प्रमोशन शुरू कर दी है। इनकी मांग है कि सरकार पहले एडहॉक से रेगुलर हुए सभी की सीनियॉरिटी लिस्ट बनाए उसके बाद ही प्रमोशन की जाए।

 

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